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Mutfarriq ash'aar
बुधवार, 28 अप्रैल 2010
याद
चाँदनी का साया
पास आया
कतराया
डूब गया
नदी
झिलमिलाने लगी
हवा
ठिठकी, रुकी
बहकी
खिलखिलाने लगी
तुम
मिले, बिछड़े
चले गये
याद आने लगे।
-शुभा सक्सेना
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